वंदे मातरम@150: कोलकाता में लिखे राष्ट्रगीत को काशी में मिली पहचान, यहां 1905 में पहली बार गाया गया था
वंदे मातरम। यह कोई सामान्य गीत नहीं बल्कि देशभक्ति और राष्ट्रीयता का ऐसा परिचायक है, जिसे भारत सरकार ने राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया। भले ही यह वंदे मातरम गीत बंकिम बाबू कोलकाता में बैठ कर लिखे हों लेकिन इसका काशी से भी गहरा नाता है। 1905 में बनारस में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वंदे मातरम पहली बार गाया गया था। इसे सरला देवी चौधरानी ने अधिवेशन में गाया था। इसके बाद यह गीत लोगों के बीच खासकर हिंदुओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया। दुर्गा स्तुति से मिला वंदे मातरम् की प्रेरणा वाराणसी से प्रकाशित हिंदी दैनिक सन्मार्ग के 1977 के नव वर्षांक में वंदे मातरम् के बारे में डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा कि बंकिम बाबू को दुर्गा स्रोत में यह मंत्र मिला था, जिसके आधार पर वंदे मातरम् गीत को लिखा गया। लेकिन, मुखर्जी मानते हैं कि वंदे मातरम का यह मंत्र बंकिम बाबू को अघोरपंथियों की एक पुस्तक में मिला था। भारत माता मंदिर की दीवार पर उत्कीर्ण काशी विद्यापीठ के प्रांगण में भारत माता का मंदिर है जिसकी स्थापना राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने की और मंदिर का लोकार्पण महात्मा गांधी ने किया था। यहां मंदिर की दीवार पर वंदे मातरम गीत के पांचों छंदों का उल्लेख है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 08, 2025, 17:47 IST
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