Rajasthan Politics: खोई जमीन वापस पाने कांग्रेस में लौटे तेजपाल मिर्धा, जाट लैंड में INC को मिलेगी मजबूती!
राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार का नाम हमेशा से ही एक सियासी तूफान का पर्याय रहा है। मारवाड़ के इस जाट बहुल इलाके में मिर्धा वंश की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कभी कांग्रेस को मजबूत बनाने वाले नाथूराम मिर्धा के वारिस आज भाजपा और कांग्रेस में अपने वजूद की लड़ाई लड रहे हैं। कोई कभी कांग्रेस में वापस लौटता है तो कभी भाजपा में रहकर अपने कद को बढ़ाने में लगा है। ताजा घटनाक्रम में कुचेरा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा ने अपने 500 से अधिक समर्थकों के साथ भाजपा को अलविदा कह दिया। वे कांग्रेस के साथ जुड़ गए। बीजेपी में क्यों गए थे हनुमान बेनीवाल की खिलाफत करते हुए कांग्रेस में बगावत करने वाले तेजपाल मिर्धा को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। तेजपाल ने अपने समर्थकों के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया। कांग्रेस में क्यों वापस आ गए जानकार मानते हैं कि नागौर में ज्योति मिर्धा से अनबन के चलते तेजपाल बीजेपी में लंबी पारी नहीं खेल पाए। कांग्रेस में वापसी के रास्ते तलाशने लगे। इधर हनुमान बनेवाल ने भी खुद को कांग्रेस के गठबंधन से अलग कर लिया। इसलिए तेजपाल को कांग्रेस में वापसी करने में कोई परेशानी नहीं थी। कांग्रेस को क्या फायदा जानकार मानते हैं कि जाट लैंड कहे जाने वाले नागौर में फिलहाल कांग्रेस अपने सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है। ऐसे में तेजपाल मिर्धा की एंट्री से कांग्रेस को कुछ हद तक मजबूती जरूर मिल सकती है। नागौर में कांग्रेस का झंडा उठाने वाले ज्यादातर नेता या तो बीजेपी में चले गए हैं या फिर कांग्रेस में हाशिए पर हैं। नागौर की सियासत तेजपाल मिर्धा ने खींवसर विधानसभा क्षेत्र से 2023 के विधानसभा चुनाव को कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। वे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हनुमान बेनीवाल के खिलाफ मैदान में उतरे थे। बेनीवाल आरएलपी के संस्थापक हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने ज्योति मिर्धा को हराया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आरएलपी गठबंधन के तहत बेनीवाल को ही टिकट मिला, जिससे मिर्धा परिवार में खलबली मच गई थी। तेजपाल ने तब खुलेआम बेनीवाल के खिलाफ प्रचार किया और भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा का समर्थन किया। परिणामस्वरूप, अप्रैल 2024 में कांग्रेस ने तेजपाल सहित तीन नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। यह भी पढ़ें-Rajasthan News:पाकिस्तानी जासूस 'खान' ने उगले तीन हैंडलरों के नाम, सीमा से सटी इन जगहों पर रखता था नजर निष्कासन के ठीक बाद 12 अप्रैल 2024 को तेजपाल मिर्धा के आह्वान पर कुचेरा नगरपालिका के 21 पार्षदों, 8 पूर्व पार्षदों और 7 पंचायत समिति सदस्यों ने सामूहिक रूप से कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। लगभग 400 से अधिक कार्यकर्ताओं ने त्यागपत्र सौंपे, जिससे नागौर में कांग्रेस की नींव हिल गई। अब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कांग्रेस पार्टी से निष्कासित तेजपाल को दोबारा कांग्रेस पार्टी में शामिल कर लिया। डोटासरा ने उन्हें वापस पार्टी में शामिल करते हुए उनको धन्यवाद दिया। राजनीतिक विरासत दिवंगत नाथूराम मिर्धा, जिन्हें राजस्थान में 'बाबा' के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और किसान नेता थे। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता थे, जिन्होंने 1977 के लोकसभा चुनाव में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस की एकमात्र सीट नागौर से जीती थी। नाथूराम की विरासत पर चलते हुए उनकी पोती डॉ. ज्योति मिर्धा 2009 में नागौर से कांग्रेस सांसद बनीं। लेकिन 2023 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा का दामन थाम लिया था। यह भी पढ़ें-Rajasthan Education:राजस्थान की अनोखी पाठशाला! पढ़ने वाला कोई नहीं, फिर भी शिक्षक हाजिर; क्या है माजरा
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 26, 2025, 19:36 IST
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