Sea Level Rise: कौन से तट बचेंगे और कौन डूबेंगे... हमारे आज के फैसलों में छिपा है आने वाली पीढ़ियों का भाग्य

नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित ताजा अंतरराष्ट्रीय शोध ने चेतावनी दी है कि अगर दुनिया मौजूदा नीतियों पर चलती रही, तो आने वाले 300 वर्षों में समुद्र का सेबर 80 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है योभी कई तटीय शहर व द्वीप सदा के लिए जलमग्न हो सकते हैं। लेकिन पेरिस समझौते के अनुरूप उत्सर्जन घटाने की दिशा में तत्काल निर्णायक कदम उठाए जाएं, तो करीब 60 सेंटीमीटर तक समुद्र वृद्धि को रोका जा सकता है। शोध बताता है कि एक बार समुद्र का स्तर बढ़ना शुरू हो गया तो उसे मानव समय-सीमा में वापस घटाया नहीं जा सकता। इसका कारण दोहराहै। पहला- हिमनद और ग्लेशियरों का पिघलना, और दूसरा- महासागर के गर्म होने से पानी का फैलाव। यह शोध इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएएसए) के नेतृत्व में ब्रिटेन, बेल्जियम, नीदरलैंड और जर्मनी के वैज्ञानिकों ने किया है। सेंटीमीटरों का फर्क शहरों का भाग्य तय करने वाला वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र स्तर में 30 सेंटीमीटर की वृद्धि भी दुनिया के 100 से अधिक तटीय शहरों में स्थायी बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकती है। जकार्ता (इंडोनेशिया) पहले ही अपने नए राजधानी शहर के निर्माण की घोषणा कर चुका है। ढाका, कोलकाता और मियामी जैसे शहरों में बाढ़ और तटीय कटाव की घटनाएं पिछले 20 वर्षों में दोगुनी हो चुकी हैं। आज के निर्णय, आने वाली पीढ़ियों का भूगोल तय करेंगे शोध का निष्कर्ष स्पष्ट है आज दुनिया जो भी नीति अपनाएगी, वही तय करेगी कि कौन-से तटीय क्षेत्र भविष्य में सुरक्षित रहेंगे और कौन सदा के लिए लुप्त हो जाएंगे। समुद्र-स्तर वृद्धि केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि सभ्यता के अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है। जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की नहीं, आज की हकीकत है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 26, 2025, 03:29 IST
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