Jalaun News: मामूली बातों पर जान दे रहे किशोर, मोबाइल की लत बड़ी वजह
उरई। जिले में किशोर छोटी-छोटी बातों पर जान दे रहे हैं। इसके पीछे बड़ी वजह मोबाइल की लत भी है। इससे अभिभावकों के साथ स्कूल प्रबंधन तक चिंतित हैं। माता-पिता बच्चों को डांटने तक से बचने लगे हैं। कोरोना के समय स्कूलों की छुट्टियां होने से आनलाइन कक्षाओं का चलन बढ़ गया। इससे बच्चों और किशोरों की मोबाइल से नजदीकी बढ़ गई है। पढ़ाई के साथ बच्चे आनलाइन, ऑफलाइन गेम और सोशल मीडिया के लती हो गए हैं। लत इस कदर बढ़ गई कि मोबाइल रखने तक की बात पर किशोर उग्र हो जाते हैं। कई बच्चों ने खुदकुशी कर ली। मनोचिकित्सकों के अनुसार मोबाइल के लती बच्चों पर नजर रखने की जरूरत है। अभिभावक उन्हें हमउम्र बच्चों के साथ घुलने मिलने दें। घर के बाहर खेलने का अवसर दें। खुद भी बच्चों के साथ समय बिताएं और उनकी गतिविधियों पर नजर रखें। स्वभाव में परिवर्तन दिखने पर डॉक्टर के पास लेकर जाएं। केस एक- कदौरा के मोहल्ला नई बस्ती निवासी कैलाश का 16 वर्षीय पुत्र रंजीत दसवीं का छात्र था। वह पिछले गुरुवार को स्कूल से लौटा था और मोबाइल लेकर बैठ गया। परिजनों ने उससे मोबाइल छीन लिया। इसी बात से वह नाराज होकर घर से निकल गया और जोल्हूपुर मोड़ रेलवे क्रासिंग पर ट्रेन से कटकर जान दे दी। केस दो- आटा थाना क्षेत्र के भदरेखी गांव निवासी कमलेश प्रजापति का पुत्र आशीष (16) बेनी माधव इंटर कॉलेज में दसवीं का छात्र था। सोमवार को वह मोबाइल चला रहा था। इस पर मां ने डांट दिया। मां की डांट से नाराज छात्र ने घर के बाहर जानवरों के बाड़े में रस्सी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। इन लक्षणों पर रखें नजर- चिड़चिड़ा होना- तुरंत गुस्सा आना - पल-पल मूड बदलना- दिनचर्या बदलना- समय पर न सोना- पढ़ाई में मन न लगनाफोटो संख्या-01- डॉ. बीमा चौहान, मनोचिकित्सक। ओपीडी में बच्ची मोबाइल के लती बच्चों की संख्याजिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. बीमा चौहान ने बताया कि उनकी ओपीडी में मोबाइल के लती बच्चों की संख्या बढ़ रही है। बच्चों में ये लत माता-पिता की व्यस्तता के कारण बढ़ रही है। ऐसे बच्चों के साथ माता पिता समय बिताएं। घर के बाहर खेलने में उनकी सक्रियता बढ़ाएं। जिद करने और बार-बार मरने की धमकी देने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। शुरूआत में समस्या काउंसिंलिंग से दूर हो सकती है। बच्चों शांत रखने के लिए टीवी बेहतर विकल्प है लेकिन उसका भी समय सीमित रखें। फोटो संख्या-02- संस्कृति श्रीवास्तव, प्राचार्यस्कूलों में कराई जा रही काउंसिलिंगजयपुरिया स्कूल की प्राचार्य संस्कृति श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना काल के बाद छात्र-छात्राओं में फोन की लत बड़ी समस्या बनकर उभरी है। स्कूल समय पर भी बच्चे फोन से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे बच्चों की स्कूलों ने काउंसिलिंग शुरू कराई है। फोन की लत छुड़ाने के लिए स्कूल में समिति बनाकर अतिरिक्त गतिविधियां करवाई गईं हैं। खेलकूद गतिविधियों को भी बढ़ाया गया है। कुछ ऐसी प्रतियोगिताएं भी करवाई गईं जिनसे किताबें पढ़ने की रुचि और बढ़े।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jan 19, 2023, 23:48 IST
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