Siddharthnagar News: कर्ज के दबाव में पति ने तोड़ दिया दम

-बीमा राशि के लिए लगवा रहे चक्कर, अच्छी जिंदगी की चाहत बनी गांव की गरीब महिलाओं के लिए मुसीबत - कर्ज से परेशान होकर कोई घर छोड़ रहा है तो कोई अपमान से आहत होकर आत्महत्या की ओर बढ़ा रहा कदम -कम ब्याज दर पर लोन देने की बात करके फंसा रहे फाइनेंस कंपनी के प्रतिनिधि-गोरखपुर की तरह स्थानीय स्तर पर भी फाइनेंस कंपनियों के उत्पीड़न से जान देने की कोशिश कर चुकी है महिलाएंसंवाद न्यूज एजेंसीसिद्धार्थनगर। अगर आपके आसपास फाइनेंस कंपनी के प्रतिनिधि लोगों को लोन बांट रहे हैं, और आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। क्योंकि फंसाने के बाद इनकी ओर से किए जाने वाले आर्थिक, मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। कारण इनके चंगुल में जो फंसा कर्ज का कर्ज बना रहा, घर, जेवर और खेत गिरवी और रेहन रखने काे विवश कर दे रहे हैं। कई बार इनकी अभद्रता और घर पहुंचकर किए जाने वाले उत्पीड़न से तंग होकर जान देने की नौबत आ जा रही है। कर्ज की वसूली के दबाव में आकर गोरखपुर में एक युवक ने जान देना विकल्प के रूप में चुना। जिले में भी उत्पीड़न से दंग आकर दो महिलाएं आत्महत्या करने की कोशिश कर चुकी हैं। वहीं, इनके उत्पीड़न से परेशान होकर कई महिलाएं घर छोड़ चुकी हैं। जड़ जमा चुके फाइनेंस कंपनियों की उत्पीड़न पर प्रशासन की ओर से कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। पीड़ित कानूनी लड़ाई के कारण सामने नहीं आ पा रहा है। ऐसे में कर्ज बांटने और शोषण करने वालों के बहकावे में न आएं और खुद को इनसे दूर रखें। फाइनेंस कंपनी की उत्पीड़न की शिकार महिलाओं से बातचीत में यह बातें सामने आई है।---कर्ज के दबाव में पति ने तोड़ दिया दमलोटन ब्लाॅक क्षेत्र में कई फाइनेंस कंपनियों ने जाल फैला रखा है। माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मी किस्त वसूलने महिला कर्जदारों से बदसलूकी पर उतारू हो गए हैं। कर्मी किस्त वसूलने के लिए महिलाओं से न केवल अपमानजनक व्यवहार कर रहे हैं, बल्कि उन्हें धमका भी रहे हैं। इसका परिणाम है कि आए दिन कहीं न कहीं घटना हो रही है। शुक्रवार को यह आरोप महिलाओं ने लोटन में माइक्रो कंपनी के मैनेजर की वसूली करने के दौरान लगाया गया और शिकायत की गई है। बैंक के कर्जदार नेतवर की सरोज लोहरौली माया व भानमती ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित विभिन्न फाइनेंस कंपनियों की ओर से महिलाओं को प्रलोभन देकर कर्ज दिया जाता है। उसके बाद उस कंपनी द्वारा विधि विरुद्ध कर्जदारों से अधिक ब्याज दर से रकम की वसूली की जा रही है। इतना ही नहीं फाइनेंस कंपनियों द्वारा कर्जदारों से लगभग एक-एक हजार रुपये का बीमा कराया जाता है। इसकी कोई भी रसीद पाॅलिसी नहीं दी जाती। मृत्यु के बाद उस बीमे का लाभ मृतक के परिजन को भी नहीं दिया जाता न ही लोन की राशि माफ की जाती है।लोहरौली की माया ने बताया कि उसने एक कंपनी से 50 हजार रुपये चार माह पहले कर्ज लिए, लेकिन कंपनी के कर्मचारियों के दबाव में आकर खेत रेहन रखकर किस्त तो चुका दी। फिर भी बकाया बताया जा रहा है, जबकि हम लोगों का जो जीवन बीमा का पैसा होता है। अगर किसी कारण देहांत हो जाता है तो बीमा का पैसा पता नहीं चल पाता है। एक बार कर्ज लेने के बाद भरते- भरते परेशान हो जा रहे हैं। कर्ज नहीं पूरा हो रहा है। नेतवर निवासी सरोज ने बताया कि एक माइक्रो कंपनी से 40 हजार रुपये लिए गए थे। कुछ पैसा जमा भी किया गया, लेकिन कंपनी के कर्मचारियों ने इतना दबाव बनाया कि कर्ज के सदमे से परेशान होकर पति का देहांत हो गया। तबसे और असहाय हाे गई। बीमा का पैसा देने में कंपनी आनाकानी कर रही है। दौड़ते-दौड़ते थक गई हूं। कब तक मिलेगा कुछ बताने से कर्मचारी कतरा रहे हैं। कुछ इसी प्रकार अन्य महिलाओं ने पीड़ा व्यक्त की।---घर पर की बदसलूकी, एजेंट के सामने खा लिया जहरलोटन कोतवाली क्षेत्र के लोहरौली गांव निवासी जीरावती ने भी फाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। मार्च माह में फाइनेंस कंपनी का एजेंट उनके घर पहुंचा। इसके बाद रुपये की मांग करते हुए अभद्रता की। फिर घर में घुसने के प्रयास करने लगा है। उससे आजिज आकर जहरीला पदार्थ खा लिया। इस मामले में पीड़िता ने शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस की जांच जब तक आगे बढ़ती और उन पर शिकंजा सकता। उसने पता नहीं किसके दबाव में आकर सुलह समझौता कर लिया। पुलिस की जांच ठप पड़ गई। वहीं, बांसी कोतवाली क्षेत्र के गोनहा गांव में उत्पीड़न से तंग महिलाएं मायके भागने को विवश हो गई। वहां भी एजेंट पहुंच गए और उत्पीड़न किया। ऐसा उन लोगों ने आरोप लगाया है।---परेशान होकर फंदे से लटकी, ग्रामीणों ने बचायाखेसरहा थाना क्षेत्र के ढोलगाढ़ा गांव में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मकड़जाल में फंसकर गांव की महिलाएं काफी हद परेशान हो गई हैं। ऐसी स्थिति में गांव की पुष्पा ने पांच माह पूर्व फंदा लगाकर जान देने की कोशिश की। पता चलने पर पड़ोस की महिलाओं ने उसे बचा लिया। वह तबसे गांव छोड़कर चली गई और उसका कोई पता नहीं चला। गांव में कर्जदार लगातार आकर दबाव बना रहे हैं। लोगों ने बताया कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियां शुरुआती दौर में रोजगार का भरोसा देकर महिलाओं को फंसाती हैं। 15 दिन बाद से इनकी वसूली शुरू हो जाती है। वसूली के दौरान अपशब्दों का प्रयोग करते हुए घर में रखे रोजमर्रा की वस्तुओं को बेच कर किस्त पूरा करते हैं। बताया जाता है कि गांव की पुष्पा से पैसा जमा करने के लिए इतना दबाव बनाया गया कि उसने रसोई गैस सिलिंडर, चूल्हा, चारपाई तथा छह मंडी खेत बेच कर किस्त जमा की। इसके बाद जब घर में खाना बनाने के लिए कुछ नहीं बचा तो वह एक कमरे में गले में फंदा लगाकर कर जान देने कोशिश करने लगी। बच्चों के चिल्लाने पर पड़ोस की महिलाएं पहुंच गईं और उसे नीचे उतार कर उसकी जान बचाई। मौजूदा समय में वह घर छोड़कर कहीं चली गई है, जिसका पता कहीं नहीं है।---बोले जिम्मेदार माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के वसूली टीम द्वारा रिकवरी के दौरान दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत मिली है। आवेदनों के आधार पर फाइनेंस कंपनियों की जांच की जाएगी। शिकायत पुख्ता होने पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।-कल्याण सिंह मौर्य, एसडीएम सदर

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 11, 2025, 23:40 IST
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