बैलगाड़ियों से दो परिवारों को तिगरी गंगा मेले जाते चौंक गए लोग

बैलगाड़ियों से दो श्रद्धालु परिवारों को तिगरी गंगा मेले में जाते देख लोग चौंक गए। वह 30 किमी की दूरी तय कर बड़े हर्ष और उल्लास के साथ गंगा मैया में स्नान कर पुण्य कमाने जा रहे थे। वह मुख्य स्नान पर गंगा में डुबकी लगाकर घर की वापसी करेंगे। आधुनिकता का सबसे अधिक असर कार्तिक पूर्णिमा पर लग रहे तिगरी गंगा मेले पर पड़ा है। जहां दशकों पूर्व मेले में बैलगाड़ी, घोड़े तांगे और बुग्गी से श्रद्धालु गंगा मेले में जाते थे, वहीं अब उनका स्थान ट्रैक्टर ट्रॉली और लक्जरी कारों ने ले लिया है। गंगा मेले में बैलगाड़ी, बुग्गी, घोड़े तांगे आदि नजर नहीं आते। रविवार दोपहर तिगरी मार्ग पर श्रद्धालुओं की दो बैलगाड़ी देख हर कोई चौंक गया। दोनों बैलगाड़ियों में जरूरत का सामान और पशुओं के लिए चारा रखा हुआ था। बड़े हर्ष और उल्लास के साथ श्रद्धालु पतित पावनी में स्नान कर पुण्य कमाने जा रहे थे। पूछने पर बताया कि वह हसनपुर क्षेत्र के गांव भूतखदेड़ी के रहने वाले अशोक हैं। उनके गांव से दो परिवार हर साल तिगरी में कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले गंगा मेले में बैलगाड़ी से ही स्नान करने जाते हैं। उनका गांव तिगरी गंगा मेला स्थल से करीब 30 किमी दूर है, लेकिन गंगा मैया की श्रद्धा और आस्था उनको मेले में हर बार खींच लाती है। वह मुख्य स्नान तक गंगा मेले में रहकर नित्य सुबह स्नान कर पुण्य कमाएंगे। पर्वी पर स्नान के बाद उनकी वापसी होगी।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 02, 2025, 17:05 IST
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