Rampur Bushahr: विस्थापितों ने कोटला गांव में गुज्जर समुदाय और दूसरे परिवारों को बसाने का किया विरोध

उपमंडल की ज्यूरी पंचायत के नाथपा झाकड़ी परियोजना से विस्थापित ग्रामीणों ने कोटला की खाली जमीन पर गुज्जर समुदाय और दूसरे लोगों को सरकार के बसाने की योजना का ग्रामीणों ने कड़ा विरोध जताया है। मंगलवार को कोटला में पंचायत प्रधान तांपा देवी और उप प्रधान अरुण शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। बैठक में विस्थापित परिवारों ने परियोजना के लिए अर्जित जिस जमीन का उपयोग नहीं हुआ और खाली पड़ी है, उस पर गुज्जर समुदाय और बाहरी लोगों को देने का विरोध किया। ग्रामीणों ने बताया सरकार ने 1990 में 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना की कॉलोनी बनाने के लिए उनकी सारी जमीन और मकान अर्जित कर विस्थापित किया है। अब उनसे अर्जित जमीन को उन्हें वापस न देकर गुज्जर समुदाय और बाहरी लोगों को यहां बसाने की तैयारी कर रही है, जो कोटला के विस्थापित परिवारों के साथ नाइंसाफी है। देश और प्रदेश के विकास के लिए अपने घर और जमीन चंद पैसों के लिए देने वाले परिवारों पर दोबारा से बाहर से लोगों को बसा कर उनकी अर्जित जमीन, जल स्रोत, घासनी और पेड़ पौधे भी उनसे छीनने की तैयारी कर रही है। हिंदू गांव में गुज्जर समुदाय को बसा कर शांति भंग होने की पूरी आशंका बनी रहेगी है और उन भी भैंसे मवेशी विस्थापितों के पशुपालन व्यवसाय को चौपट करेंगे। पंचायत प्रधान तांपा देवी, उप प्रधान अरुण शर्मा, वार्ड सदस्य नीलम लश्टी ने बताया कोटला में गुज्जर समुदाय और बाहरी लोगों को बसाया गया तो विस्थापितों के साथ एसडीएम रामपुर और सरकार को ज्ञापन देकर कोटला में गुज्जर समुदाय को बसाने का विरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि परियोजना की कॉलोनी के लिए 1990 में करीब 300 बीघा कृषि योग्य जमीन और दर्जनों परिवारों के घर अर्जित किए गए थे। सतलुज जल विद्युत परियोजना ने जिस प्रयोजन के लिए जमीन अर्जित की थी, उस प्रयोजन के लिए मात्र 100 बीघा जमीन ही उपयोग में लाई गई, बाकी बची करीब 200 बीघा जमीन सरकार ने अपने नाम कर ली। उसमें सरकार ने राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए भी जमीन तकनीकी शिक्षा विभाग के नाम कर दी। बाकी बची जमीन में गुज्जर समुदाय और दूसरे बाहर के लोगों को देने की तैयारी की जा रही है, जबकि परियोजना की कॉलोनी के प्रयोजन से बची पर जमीन पर विस्थापितों का हक बनता था। ग्रामीणों ने सरकार से आग्रह किया है कि इस जमीन पर गुज्जर समुदाय और बाहरी लोगों को न बसाया जाए। यह जमीन कोटला के विस्थापितों को वापस दी जाए। गुज्जर समुदाय और दूसरे लोगों को कोटला की जगह दूसरी जगह बसाया जाए। बैठक में कोटला गांव के विस्थापित केवल राम, धर्म सेन मेहता, राजकुमार लश्टी, शीशी राम, गोविंद सिंह, रूप सिंह, राजेश्वर सिंह, प्रेम सिंह, कृष्ण वर्मा, राजेंद्र नेगी, अविनाश सेवगी, मंगलदास, दीपक लश्टी, सोनिया मेहता, राजेंद्र खन्ना सहित अन्य मौजूद रहे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 04, 2025, 19:38 IST
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