VIDEO : खेड़ी गांव में अमर उजाला संवाद में ग्रामीणों ने बताई समस्याएं, नहीं बिछ पाई पानी की पाइप लाइन, बोरवेल के सहारे हैं लोग

कहने के लिए खेड़ी गांव को प्राधिकरण ने आदर्श गांव घोषित कर दिया था, लेकिन आज गांव के लोगों को पानी की पाइप लाइन बिछाए जाने का इंतजार है। ग्रामीणों का आरोप है कि करीब एक दशक पहले गांव में पानी की पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक पूरे गांव में लाइन नहीं बिछ पाई है। जिस कारण आज भी लोगों को बोरवेल के पानी के सहारे रहना पड़ रहा है वहीं सीवर की पाइप लाइन तो बिछी है, लेकिन आज तक कनेक्शन नहीं हुआ है। गांव में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण नालियों का पानी सड़कों पर भरा रहता है। इसके अलावा बरसात के मौसम में गांव में जलभराव हो जाता है। अमर उजाला ने सोमवार को ग्रेटर नोएडा के खेड़ी गांव में आयोजित ग्रामीण संवाद में ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को बताया। लोगों का आरोप है कि गांव के मुख्य मार्गों की हालत बहदहाल हो चुकी है। आए दिन दो पहिया वाहन चालक सड़क हादसे का शिकार होकर घायल होते रहते हैं। इसके अलावा गांव के अंदर की गलियों में अभी तक सड़कें नहीं बनाई गई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार प्राधिकरण के अधिकारियों से सड़क बनाए जाने की मांग की गई तो सर्वे करा लिया जाता है उसके बाद फिर अधिकारी भूल जाते हैं। गांव में बारात घर और शमसान घाट का निर्माण कार्य बीते काफी समय से अधूरा पड़ा है। जिस कारण उनको प्रयोग में नहीं लाया जा पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पशुओं के बने अस्पताल की हालत भी जर्जर हो चुकी है। गांव में क्रीड़ा मैदान नहीं होने के कारण बच्चों को खेल का अभ्यास करने के लिए या सरकारी भर्तियों की तैयारी करने के लिए गांव से करीब 15 से 20 किमी दूर जाना पड़ता है। जिस कारण बच्चों का अधिक समय के साथ अधिक रुपयों की बर्बादी होती है। इसके अलावा थकान होने के कारण बच्चेे ठीक से तैयारी भी नहीं कर पाते हैं। बिजली के खंभों में लगी स्ट्रीट लाइटें शोपीस बनी हुई हैं। आधे गांव में पहली बात लगी हुई हैं उसमें से भी आधे से ज्यादा जलती ही नहीं है। जिस कारण गांव में शाम के समय में अंधेरा छाया रहता है। महीने में एक बार बहुत मुश्किल से गलियों में झाड़ू लगती है। नालियों की भी एक या दो बार ही सफाई होती है। जिस कारण गांव के अंदर जगह-जगह गंदगी फैली रहती है। इसके अलावा नालियों का पानी सड़कों पर भरा रहता है। सड़कों पर भरे नालियों के पानी से लोगों का निकलना मजबूरी हो चुकी है। एक दशक पहले पानी की पाइप लाइन बिछाई जानी शुरू हुई थी, लेकिन अभी तक पूरे गांव में नहीं बिछाई जा पाई है। जिस कारण गांव के लोगों को बोरवेल के पानी के सहारे रहना पड़ता है।- चौधरी धर्मपाल, गांव की नालियों और गलियों की महीने में एक बार ही सफाई होती है। जिससे गंदगी फैली रहती है। साथ ही जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने जलभराव की समस्या बनी रहती है।- प्रशांत टाइगर, शमसान घाट और बारात घर का अधूरा निर्माण पड़ा हुआ है। इनका निर्माण पूरा कराए जाने के लिए प्राधिकरण से कई बार शिकायत की गई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।- संजय, गांव में पानी की सप्लाई लाइन बिछे करीब एक दशक समय हो गया है लेकिन, अभी तक गांव में पानी की सुचारू रूप से सप्लाई नहीं की जा सकी है। कई जगह पर तो लाइनें लीकेज हुई पड़ीं हैं।- विशाल टाइगर, गांव के मुख्य मार्ग बदहाल हो चुके हैं। इसके अलावा गांव की गलियां भी पूरी तरह से जर्जर हो गई हैं। कई बार शिकायत की गई है। समस्या का समाधान होना चाहिए।- संजीव कुमार, गांव में क्रीड़ा स्थल नहीं होने के कारण खेलों और सरकारी भर्ती की तैयारी करने के लिए गांव से करीब 15 से 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इससे समय और रुपये दोनों की बर्बादी होती है।- करतार सिंह. आशीष चौरसिया की रिपोर्ट।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 06, 2025, 20:03 IST
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