Shahjahanpur News: रेशम कीट के साथ ही हार और झुमके तैयार कर रहे बच्चे

शाहजहांपुर। परिषदीय विद्यालय के कुछ शिक्षकों ने अपने विद्यालय की काया को बदल दिया है। वे बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही हुनरमंद भी बना रहे हैं। पुवायां तहसील के दो स्कूलों में गुरुजन बच्चों के सहयोग से शहद उत्पादन के साथ रेशम कीट पालन और गले के हार समेत अन्य सौंदर्य प्रसाधन तैयार करते हैं। अर्जित आय को स्कूल की बेहतरी के लिए खर्च किया जाता है। शिक्षकों का प्रयास है कि बच्चे पढ़ने के साथ ही हुनरमंद बनकर आत्मनिर्भर भी बन सकें, जिससे वे आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं उठा सकें।कंपोजिट विद्यालय पुवायां प्रथम की सहायक अध्यापक पारुल मौर्या रेशम कीट पालन करती हैं। रेशम कीट का लार्वा लाने के बाद उसका पालन किया जाता है। रेशम कीट पालन की निगरानी बच्चे भी करते हैं। पारुल बताती हैं कि रेशम कीट के कोकून से धागा निकलता है। इसे गर्म पानी में डालकर रेशम निकालकर रील बनाते हैं। उसका प्रयोग राखी आदि में होता है। इसी तरह कोकून से झुमकी, गले के हार आदि बनाए जाते हैं। बच्चों के सहयोग से होने वाले रेशम व अन्य उत्पादों को बाजार में बिक्री कर अर्जित आय से स्कूल की स्थिति सुधारने के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद की जाती है। वहीं सिंधौली के प्राथमिक विद्यालय कठवा में बच्चे पढ़ने के साथ ही शहद का उत्पादन करने के गुर सीखते हैं। शिक्षक शरद सिंह के पास मधुमक्खी पालन के दो बॉक्स हैं। वह बताते हैं कि अक्तूबर से मार्च तक पांच महीने में प्रत्येक बॉक्स से 25 किलो शहद मिल जाता है। बच्चों को दूर से मधुमक्खी पालन सिखाया जाता है। साथ ही शनिवार को नो बैग डे वाले दिन शहद पैकिंग में बच्चों की मदद ली जाती है। पैकिंग पर पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत उत्पादित हनी का रैपर लगाकर 350 रुपये किलो के हिसाब से बिक्री की जाती है। शरद बताते हैं कि शुद्ध शहद की काफी ज्यादा मांग है। इससे अर्जित आय को बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाता है। शाहजहांपुरमेंमधुमक्खीपालनकेबारेमेंजानकारीदेतेशिक्षकशरदसिंह। फाइलफोटो

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 29, 2025, 22:29 IST
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