Uttarakhand: आपदाओं का खतरा बढ़ने के साथ ही जलवायु परिवर्तन से पशुपालन पर संकट, खतरे में परंपरागत नस्लें भी
जलवायु परिवर्तन से उत्तराखंड पर न केवल आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है बल्कि पशुपालन भी संकट में आ रहा है। गढ़वाल विवि के शोधार्थियों के शोध में यह चुनौती सामने आई है। यह शोध अगस्त माह में अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ है। गढ़वाल विवि के शोधार्थियों सोनाली राजपूत, शुभम थापा और आभा रावत ने जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी परिक्षेत्र में हो रहे बदलावों पर शोध किया है। तापमान में वृद्धि, अनियमित वर्षा और बर्फबारी की कमी से पारंपरिक पशुचारण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इससे न केवल पशुओं का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है बल्कि स्थानीय किसानों की आजीविका भी संकट में पड़ गई है। पर्वतीय जिलों में पशुपालन मुख्य रूप से छोटे किसान और जनजातीय समुदाय करते हैं। बदलते मौसम की मार ने इनकी रोजी-रोटी पर असर डालना शुरू कर दिया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पहले जहां मई-जून तक बर्फ जमी रहती थी, अब मार्च में ही बर्फ पिघल जाती है। इससे गर्मियों में ऊंचाई वाले बुग्याल (चारागाह) समय से पहले सूखने लगे हैं। इससे चराई का समय छोटा हो गया है और चारे की कमी से पशु कमजोर हो रहे हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 02, 2025, 11:58 IST
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