Ground Zero : फसल कट रही है...बस बिक जाए, फिर हर हालात के लिए तैयार हैं हम; जंग की आशंका पर बोले सीमा के किसान

भारत-पाकिस्तान की सीमा पर अमृतसर के गांवों में कई किलोमीटर तक फैले खेतों में गेहूं की फसल कट चुकी है। खेत के खेत खाली हो चुके हैं। इन खेतों के बीच से गुजरते संकरे गलियारों और गांव की सड़कों पर सन्नाटा पसर चुका है। अगर बॉर्डर इलाके में कहीं कुछ हलचल है, तो वह है जीरो लाइन पर। दरअसल जीरो लाइन पर फेंसिंग के भीतर पंजाब के किसानों की जमीन है। जहां पर गेहूं की फसल की कटाई चल रही है। वैसे यहां भी बहुत बड़ा हिस्सा गेहूं का कट चुका है, लेकिन जो बची हुई फसल है उसको भी जल्द से जल्द काटकर लाना है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे राजाताल समेत कई गांवों में भी यही हाल है। अमर उजाला ने सीमा के बिल्कुल नजदीक बसे इस गांव के लोगों और किसानों से बातचीत की। गांव वालों का कहना है कि फसल तो तकरीबन कट ही गई है। अब जल्दी से उसको मंडी पहुंचा दूं। फिर अगर युद्ध जैसे हालात बन भी जाएं तो हमें गांव छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी। फेंसिंग के उस पार खेत वाले किसानों को ज्यादा फिक्र राजाताल के रहने वाले गुरप्रताप सिंह भारत-पाकिस्तान की सीमा पर फेंसिंग के पास मौजूद थे। फेंसिंग के भीतर जीरो लाइन पर गुरप्रताप के खेत हैं और ट्रैक्टर से उनके खेतों में गेहूं की कटाई हो रही थी। वह कहते हैं कि जल्दी ही उनको अपनी फसल काट कर घर लानी है। जिस तरीके का माहौल है उससे डर तो लग ही रहा है। किसान सेवा सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान ने जो किया है, वह ठीक नहीं किया। सेवा सिंह भी फेंसिंग के उस पर जीरो लाइन में अपनी फसल को काटने के लिए आए थे। वह कहते हैं की फसल कट जाए और मंडी पहुंच जाए। फिर अगर युद्ध जैसी स्थिति बने और गांव भी छोड़ना पड़े, तो वह छोड़ देंगे। स्कूल खुले पर बच्चे नदारद जीरो लाइन से हटकर जब हम राजाताल गांव पहुंचे तो वहां पर पूरी तरह से सन्नाटा था। गांव में स्कूल तो खुले थे, पर बच्चों की संख्या उतनी नहीं थी। सरकारी स्कूल से बच्चों को लेकर आ रही सुवर्णा कहती हैं कि उनको कश्मीर में क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन पाकिस्तान जो करता है उसके लिए सजा तो मिलनी ही चाहिए। सुवर्णा ने कहा कि उनको बस यह पता है कि अगर हालात बिगड़े तो गांव छोड़ना पड़ सकता है। गांव में एक प्राइवेट क्लीनिक पर मौजूद सावर सिंह अपने खेतों से काम करके वापस आए हैं। सावर सिंह कहते हैं कि अगर माहौल बिगड़ेगा तो उनको परिवार के साथ गांव छोड़ना पड़ेगा। डर यह है कि तब कहां जाएंगे। बीच का रास्ता निकले सीमा पर बनी फेंसिंग के उस पार अपनी जमीन से काम करके वापस आए तरसेम कहते हैं कि वैसे तो बीच का रास्ता ही निकाल जाना चाहिए। क्योंकि युद्ध में तो सिर्फ तबाही होती है। लेकिन किया भी क्या जा सकता है। जब पाकिस्तान अपने आतंकियों को भेज कर हमारे निर्दोष लोगों को मारेगा तो हमें भी जवाब तो देना ही पड़ेगा। Pahalgam Attack:पाकिस्तान को घुटनों पर लाने की चेतावनी से लेकर भारतीयों को नसीहत तक, जानिए किसने क्या कहा गांवों में पसरा सन्नाटा राजाताल से होते हुए चभ्भाल, गल्लुवाल, भरोपाल और चैल गांव की सड़कों पर सन्नाटा दिखा। एक दो लोग ही सड़कों पर दिखे। दरसल ये सभी गांव सीमा से सटे हैं। इन गांवों के लोगों को बिगड़े माहौल में अपना गांव घर और जमीन छोड़कर शहरों की ओर जाना होगा, इसलिए तनाव भी है। सीमा पर बसे चैल गांव के सुखविंदर कहते हैं कि वह तो अगले कुछ दिनों में ऐसे हालातो में आने वाले आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमारे लिए अपने देश की अस्मिता से बढ़कर कुछ नहीं है। इसलिए सुरक्षा एजेंसी और सरकार जो कहेगी हम करेंगे। गांव छोड़कर जाने के हालातो में वह पूरे परिवार और गांव के साथ तैयार बैठे हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 30, 2025, 03:56 IST
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