Panipat News: गोली लगने के बाद भी कई घंटे तक लड़ते रहे थे मेजर आशीष
पानीपत। बिंझौल गांव के लाल मेजर आशीष धौंचक को मरणोपरांत शौर्य चक्र मिला है। वे ये सैन्य सम्मान प्राप्त करने वाले पानीपत के इकलौते सैनिक हैं। वे 13 सितंबर 2023 को आतंकवादियों से मुकाबला करने समय गोली लगने से हो शहीद हो गए थे। बलिदानी की पत्नी ज्योति ने बताया कि आशीष ने बहादुरी के साथ आतंकवादियों का सामना किया और वे गोली लगने के बाद भी करीब 10 घंटे बाद बाद भी लड़ते रहे। राष्ट्रपति द्रौपद्री मुर्मू ने वीरवार को बलिदानी की पत्नी ज्योति और मां कमला को शौर्य चक्र प्रदान किया। ज्योति ने कहा कि वे आशीष ये सम्मान वे खुद लेते और उनको और अधिक फक्र महसूस होता।बलिदानी मेजर आशीष धौंचक की पत्नी ने बताया कि आशीष शुरू से ही सेना में जाना चाहते थे। उन्होंने केंद्रीय विद्यालय से 12वीं करने के बाद बरवाला के कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक में बीटेक की। एमटेक की पढ़ाई के दौरान 2012 में वे भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हो गए। अब वे 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इंफेंट्री में तैनात थे। 2018 में पदोन्नत होकर मेजर बनने के बाद उन्हें राजौरी में पोस्टिंग मिली थी। वे उनको अपनी बहादुरी के किस्से सुनाते रहते थे। वे अपनी बेटी वामिका को भी बहुत प्यार करते थे। उन्होंने टीडीआई में अपना नया घर बना लिया था और वे जल्द ही इसमें शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे थे। इस दौरान 13 सितंबर 2023 को मिले एक दुखद समाचार ने उनके सारे सपनों को तोड़ दिया। टीडीआई में रहते हैं माता-पितामेजर आशीष को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त 2023 को सेना मेडल से नवाजा था। मेजर आशीष की बेटी वामिका हैं। उनकी पत्नी ज्योति सरकारी विभाग में अधिकारी हैं। उनकी मां कमला और परिवार पानीपत के टीडीआई सिटी में रहते हैं। आशीष मूल रूप से पानीपत से सटे बिंझौल गांव से थे। मेजर आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी मां कमला गृहिणी और पिता लालचंद नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड से सेवामुक्त हैं।आशीष की 2015 में हुई थी शादीबलिदानी मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की ज्योति के साथ हुई थी। वे दो मई 2023 को अपने साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर आए थे। वे यहां 10 दिन रहे। और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। वे 2021 में शहर में शिफ्ट हो गए थे। बिंझौल गांव के नरसी ने बताया कि आशीष बचपन से ही बहादुर और मिलनसार थे। जिले ही नहीं प्रदेश का बढ़ाया गौरवजिला सैनिक बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ऑर्नरी कैप्टन राजबीर सिंह ने बताया कि मेजर आशीष धौंचक शौर्य चक्र से सम्मानित होने वाले पहले सैनिक हैं। इनसे पहले उच्च सैन्य सम्मान किसी को नहीं मिला है। पूर्व सैनिक उत्थान समिति पानीपत के जिला प्रधाान नर सिंह ने बताया कि मेजर आशीष धौंचक आतंकवादियों के साथ बहादुरी के साथ लड़े थे। उनको शौर्य चक्र मिलना सैनिकों के लिए जोश और उत्साह का विषय है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 24, 2025, 02:56 IST
Panipat News: गोली लगने के बाद भी कई घंटे तक लड़ते रहे थे मेजर आशीष #MajorAshishKeptFightingForSeveralHoursEvenAfterBeingShot #SubahSamachar