रणनीति: परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर भारत की छलांग, निजी कंपनियों को यूरेनियम खनन की मिली इजाजत

केंद्र सकार ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़े बदलाव का फैसला किया है। अब निजी भारतीय कंपनियों को यूरेनियम के खनन, आयात और प्रसंस्करण की अनुमति दी जाएगी। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 12 गुना बढ़ाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का हिस्सा है। सरकार की इस पहल से देश के परमाणु कार्यक्रम में अरबों डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है। इससे ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। सरकार का अनुमान है कि 2047 तक परमाणु ऊर्जा भारत की कुल बिजली जरूरतों का 5 फीसदी पूरा करेगी। वर्तमान में, परमाणु क्षेत्र पर पूरी तरह से सरकार का नियंत्रण है, इसमें यूरेनियम का खनन, आयात और प्रसंस्करण शामिल है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा और रणनीतिक महत्व को देखते हुए, यूरेनियम के व्यय, ईंधन के पुनर्संसाधन और प्लूटोनियम अपशिष्ट के प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण बरकरार रहेगा। यह वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है, जहां परमाणु सामग्री के दुरुपयोग और विकिरण सुरक्षा पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। ये भी पढ़ें:-Stray Dogs Case: लावारिस कुत्ते मामले में विरोधी फैसले आए, आज बड़ी पीठ में सुनवाई; CJI ने इन तीन जजों को चुना निजी भागीदारी निभाएगी महत्वपूर्ण भूमिका देश में यूरेनियम के सीमित भंडार (लगभग 76,000 टन) हैं, जो मौजूदा अनुमानों के अनुसार, केवल 25 फीसदी बढ़ी हुई मांग को ही पूरा कर पाएंगे। शेष 75 फीसदी मांग को पूरा करने के लिए आयात और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाना अनिवार्य है। निजी क्षेत्र की भागीदारी इस कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कनाडा, अमेरिका, द. अफ्रीका की फेहरिस्त में शामिल होगा भारत सरकार की यह पहल भारत को कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा कर देगी, जहां निजी फर्मों को यूरेनियम खनन और प्रसंस्करण की अनुमति है। यह कदम भारत के परमाणु कार्यक्रम को एक नई दिशा देगा और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। ये भी पढ़ें:-अध्ययन: शिक्षण संस्थानों पर दो लाख से अधिक साइबर हमले, चार लाख डाटा में सेंधमारी की कोशिश मौजूदा कानूनों में करना होगा संशोधन इस नीति को लागू करने के लिए सरकार को कई मौजूदा कानूनों में संशोधन करना होगा, जिसमें खनन और बिजली क्षेत्र से संबंधित कानून शामिल हैं। उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में ही एक नियामक ढांचा तैयार कर सार्वजनिक किया जाएगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 14, 2025, 06:36 IST
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