Noida News: दहेज प्रथा का विरोध अपने घर से शुरू करना होगा, महिलाएं आएं आगे

ग्रेटर नोएडा की महिलाओं ने कहा-आज दहेज लेना-देना समाज में दिखावे की बड़ी वजह बन गया है।माई सिटी रिपोर्टरनोएडा। दहेज प्रथा की शुरुआत हमारे घर से ही होती है। दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए बेटियों को अपने ही घर से आवाज उठानी होगी। बेटों को भी आगे आकर दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ना होगा और परिवार को समझाना होगा। ये बातें मंगलवार को सेक्टर-59 स्थित अमर उजाला कार्यालय में आयोजित 'महिला शक्ति संवाद' के दौरान ग्रेटर नोएडा की महिलाओं ने कहीं।इस दौरान शादी में दहेज कितना जरूरी विषय पर चर्चा हुई। एडवोकेट नीलम यादव ने कहा कि जब माता-पिता बेटियों को बेहतर शिक्षा देते हैं तो दहेज की बात आती ही क्यों है निशा सिंघल ने कहा कि आज दहेज लेना-देना समाज में दिखावे की बड़ी वजह बन गया है। इसके लिए लोगों पर सामाजिक दबाव भी होता है। ऐसे में जो सक्षम नहीं हैं उन्हें भी मजबूरी में दहेज प्रथा का शिकार होना पड़ रहा है। ममता तिवारी ने कहा कि बेटे और बेटियों को अच्छे संस्कार दें ताकि वे दहेज का विरोध करें। पूनम शुक्ला ने बताया कि दहेज प्रथा को खत्म करने की शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। वंदना गुप्ता ने कहा कि बेटियों को यदि दहेज प्रथा के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो मायके पक्ष को इसका विरोध करना चाहिए। यह बिल्कुल नहीं कहना चाहिए कि अब वही तुम्हारा घर है।------------बेटियों की शादी की उम्र 21 साल की जाएसंवाद के दौरान महिलाओं ने बेटियों की शादी की उम्र 21 साल निर्धारित करने को कहा। उन्होंने कहा कि 18 साल की उम्र में बेटियां पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होती हैं और अपने हक के लिए बोल नहीं पाती हैं। माता पिता बेटी की शादी के नाम पर बचपन से ही पैसा जोड़ना शुरू कर देते हैं लेकिन यही पैसा यदि बेटी की पढ़ाई पर लगाएं तो शायद दहेज की नौबत न आए। ---------------------कोटदहेज मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए ताकि दोषियों जल्द सजा मिले। - अनीता प्रजापति, फाउंडर, साथी हाथ बढ़ाना संस्थाहम पांच बहनें थीं। सभी दहेज प्रथा के खिलाफ थीं। निर्णय लिया था कि जहां पर दहेज लिया जाएगा वहां शादी नहीं करेंगे। - रति गुप्ता, शिक्षिका दहेज दिखावा बन गया है। शादियों में एक करोड़ से अधिक खर्च किया जा रहा है। - अलकेश पाराशर, सदस्य रसायन मुक्त उत्पाद संस्थादहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए इसके मूल पर काम करना होगा। - साधना सिन्हा, अध्यक्ष महिला शक्ति सामाजिक समिति दहेज प्रथा को खत्म करने की शुरुआत परिवार से करनी होगी। जागरूकता के लिए समाज में फैलाना होगा। - मनीषा, फिटनेस कोचसमाज को बदलने से पहले खुद को बदलना होगा। दहेज प्रथा तभी जड़ से खत्म हो पाएगी। - रानी देवी, अध्यक्ष महिला उन्नति संस्थानमाई सिटी रिपोर्टरनोएडा। दहेज प्रथा की शुरुआत हमारे घर से ही होती है। दहेज प्रथा खत्म करनी है तो अपने ही घर में बेटियों को आवाज उठानी होगी। बेटों को भी आगे लड़ना होगा और अपने परिवार का साथ देने के बजाय उन्हें समझाना होगा। ये बातें मंगलवार को सेक्टर-59 स्थित अमर उजाला कार्यालय में आयोजित 'महिला शक्ति संवाद' के दौरान ग्रेटर नोएडा की महिलाओं ने कहीं।इस दौरान शादी में दहेज कितना जरूरी विषय पर चर्चा हुई। एडवोकेट नीलम यादव ने कहा कि जब माता-पिता बेटियों को बेहतर शिक्षा देते हैं तो दहेज की बात आती ही क्यों है निशा सिंघल ने कहा कि आज दहेज लेना-देना समाज में दिखावे की बड़ी वजह बन गया है। इसके लिए लोगों पर सामाजिक दबाव भी होता है। ऐसे में जो सक्षम नहीं हैं उन्हें भी मजबूरी में दहेज प्रथा का शिकार होना पड़ रहा है। ममता तिवारी ने कहा कि बेटे और बेटियों को अच्छे संस्कार दें ताकि वे दहेज का विरोध करें। पूनम शुक्ला ने बताया कि दहेज प्रथा को खत्म करने की शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। वंदना गुप्ता ने कहा कि बेटियों को यदि दहेज प्रथा के लिए प्रताड़ित किया जाता है तो मायके पक्ष को इसका विरोध करना चाहिए। यह बिल्कुल नहीं कहना चाहिए कि अब वही तुम्हारा घर है।------------बेटियों की शादी की उम्र 21 साल की जाएसंवाद के दौरान महिलाओं ने बेटियों की शादी की उम्र 21 साल निर्धारित करने को कहा। उन्होंने कहा कि 18 साल की उम्र में बेटियां पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होती हैं और अपने हक के लिए बोल नहीं पाती हैं। माता पिता बेटी की शादी के नाम पर बचपन से ही पैसा जोड़ना शुरू कर देते हैं लेकिन यही पैसा यदि बेटी की पढ़ाई पर लगाएं तो शायद दहेज की नौबत न आए। ---------------------कोटदहेज मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए ताकि दोषियों जल्द सजा मिले। - अनीता प्रजापति, फाउंडर, साथी हाथ बढ़ाना संस्थाहम पांच बहनें थीं। सभी दहेज प्रथा के खिलाफ थीं। निर्णय लिया था कि जहां पर दहेज लिया जाएगा वहां शादी नहीं करेंगे। - रति गुप्ता, शिक्षिका दहेज दिखावा बन गया है। शादियों में एक करोड़ से अधिक खर्च किया जा रहा है। - अलकेश पाराशर, सदस्य रसायन मुक्त उत्पाद संस्थादहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए इसके मूल पर काम करना होगा। - साधना सिन्हा, अध्यक्ष महिला शक्ति सामाजिक समिति दहेज प्रथा को खत्म करने की शुरुआत परिवार से करनी होगी। जागरूकता के लिए समाज में फैलाना होगा। - मनीषा, फिटनेस कोचसमाज को बदलने से पहले खुद को बदलना होगा। दहेज प्रथा तभी जड़ से खत्म हो पाएगी। - रानी देवी, अध्यक्ष महिला उन्नति संस्थान

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 02, 2025, 18:58 IST
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