Chandigarh-Haryana News: पानी छिड़काव की मशीनें होंगी दोगुनी, टूटी सड़कों की होगी मरम्मत

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लागू किया विंटर एक्शन प्लान हरियाणा में पानी के छिड़काव की मशीनें कुल 94 हैं, 92 और खरीदी जाएंगीचंडीगढ़। सर्दियों की दस्तक के साथ ही हरियाणा में वायु प्रदूषण गंभीर हो गया है। कई शहरों की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है। सर्दियों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है। इसका मकसद ग्रैप के सक्रिय होने की संभावना को कम करना और खराब व उससे बदतर वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या को कम करना है। इसके लिए सड़कों की धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करने वाली 94 नई मशीनें खरीदी जाएंगी। मौजूदा समय में इनकी संख्या 92 है। सर्दियों के मौसम में इनकी कुल संख्या 186 हो जाएंगी। बोर्ड का मानना है कि इस मौसम में वायु प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा कारण सड़कों की धूल होती है। वाहनों के चलने से यह धूल उड़ती रहती है और वातावरण में ही मंडराती रहती है। ऐसे में पानी का छिड़काव करना काफी महत्वपूर्ण होता है। पानी के छिड़काव के कारण धूल के कण उड़ते नहीं है। इससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह एक वैज्ञानिक तरीका है और इसे सभी शहर अपनाते हैं। एक्शन प्लान के तहत वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ईंट भट्टों को लेकर भी काम किया जा रहा है। 99 फीसदी ईंट भट्ठों को जिग-जैग तकनीक पर स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे वायु प्रदूषण में ईंट भट्टों के योगदान को कम करने में मदद मिली है। एक फीसदी जो बचे हैं उन्हें भी जल्द इस दायरे में लाने का प्लान बनाया गया है। वहीं, सभी सक्रिय निर्माण परियोजनाओं के लिए एंटी स्मॉग गन उपयोग को अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य में एंटी स्मॉग गन की भी संख्या बढ़ाई जा रही है। इस समय राज्य में कुल 1697 एंटी स्मॉग गन हैं जो 13 शहरों में तैनात की गई हैं।साल के अंत तक ईंट भट्ठे में 20 फीसदी पराली का इस्तेमाल ईंट भट्ठों में पराली का उपयोग ईंधन के रूप में होता है ताकि दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। सरकार ने नियम लागू किया है कि ईंट भट्ठों को अपने ईंधन मिश्रण में पराली से बने पेलेट का इस्तेमाल करना है। इसके लिए 2028 तक का लक्ष्य तय किया गया है। पहले यह नियम एनसीआर में शामिल सभी जिलों में शामिल था।अब हरियाणा सरकार ने एनसीआर से बाहर के जिलों में स्थित सभी ईंट भट्टों में बायोमास पेलेट्स/ब्रिकेट्स के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है। साथ ही इसका लक्ष्य भी तय कर दिया है। इस साल के अंत तक 20 फीसदी, अगले साल नवंबर तक 30 फीसदी और 2028 तक 50 फीसदी का लक्ष्य रखा गया है। बोर्ड की ओर से इसकी निगरानी भी की जा रही है।बोर्ड अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से दिन और रात के समय भी उद्योगों के निरीक्षण और निगरानी को तेज करेगा। उल्लंघन करने वाली औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध बंद करने की कार्रवाई, अभियोजन कार्रवाई और जुर्माना वसूला जाएगा।टूटी सड़कों से फैल रहा प्रदूषण, तीन शहरों का दिया प्रपोजलप्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विंटर एक्शन प्लान के मुताबिक वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह सड़कों की हालत खस्ता होना है। गड्ढों की वजह से धूल ज्यादा उड़ती है। फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत में टूटी सड़कों की संख्या ज्यादा है। फरीदाबाद में कुल सड़कों की लंबाई 3179.78 किलोमीटर है इनमें से 992.80 किलोमीटर लंबी करीब 31 फीसदी और 307 किलोमीटर लंबे फुटपाथ की मरम्मत करवानी है।गुरुग्राम में कुल 2203 किलोमीटर लंबी सड़कें हैं। इनमें से करीब 33 फीसदी सड़कें यानी 719.87 किलोमीटर की सड़कें व 210.56 किमी. के फुटपाथ की मरम्मत की जानी है। वहीं, सोनीपत में कुल 1295.66 किमी. लंबी सड़कों में से 160.36 किमी. और 97.47 किमी. लंबे फुटपाथ की मरम्मत की जानी है। इन पर करीब 3966 करोड़ रुपये का खर्च आना है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 30, 2025, 19:21 IST
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