Mandi News: चौहटा में एक साथ नजर आए देवी-देवता, स्वर्ग लोक का हुआ अहसास

मंडी। अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि के अंतिम दिन अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ के प्रांगण चौहटा में हर तरफ विराजमान देवी-देवताओं को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों धरती पर स्वर्ग लोक उतर आया है। सुबह सात बजे देवी-देवताओं के विराजमान होने का सिलसिला शुरू होते ही एक घंटे के भीतर चौहटा देवी-देवताओं के रथों से पूरी तरह पैक हो गया। अधिक संख्या के कारण उपायुक्त कार्यालय के मुख्य गेट तथा दूसरी ओर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक देवी देवता आसीन हो गए। इस दौरान हालांकि चौहटा में स्थान प्राप्त करने के लिए कुछ देवी-देवताओं के कारदारों व देवलुओं में हल्की तनातनी भी हुई लेकिन वहां पर मौजूद सर्व देवता सेवा समिति के अध्यक्ष शिव पाल शर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने स्थिति को संभाल लिया। देवी-देवताओं के विराजमान होने के कुछ ही समय बाद दर्शनों के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने एक स्थान पर सभी देवी देवताओं के दर्शन कर उनसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान लोगों ने देवी-देवताओं को चढ़ावा भी अर्पित किया। करीब ढाई बजे परिजनों की तरह देवी-देवता भी एक दूसरे से मिलकर अगले साल फिर मिलने का वादा कर अपने अपने मूल स्थानों की ओर रवाना हो गए। देवी-देवताओं के रथ के आगे झूमते देवलू भी खुशी-खुशी अपने घरों की ओर निकल पड़े।देवी-देवताओं के रवाना होने से पसरा सन्नाटासात दिनों तक देवी-देवताओं के आने से छोटी काशी देवमयी हो उठी। देवताओं के जाने से मंडी नगर में एक उदासी का माहौल बन गया है। जनपद के देवता साल में एक बार महाशिवरात्रि के दौरान मंडी वासियों के मेहमान बनकर आते हैं। ढोल-नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगों की धुनों से मंडी शहर एक सप्ताह तक गुंजायमान रहा। अब देवताओं के अपने-अपने गांव लौटते ही सब सूना सूना हो गया।सेरी चानणी में नहीं हो पाए कमरुनाग के दर्शनजनपद के बड़ादेव कमरुनाग भी टारना मंदिर का अपना आसन छोड़ कर बुधवार को अपने यजमानों के घर आतिथ्य स्वीकार करने पहुंचे। हालांकि कुछ सालों से बड़ा देव कमरुनाग महाशिवरात्रि महोत्सव के समापन पर टारना से रवाना होते ही सेरी चानणी में विराजमान होते थे। अब की बार बड़ा देव कमरुनाग के गूर ने पहले ही सेरी चानणी में विराजमान न होने की बात कही थी। जिस कारण बुधवार को बड़ा देव कमरुनाग सेरी चानणी में विराजमान न हो कर सीधे शहर में ही अपने यजमान के घर पहुंच गए। कमरुनाग के सेरी चानणी में न बैठने से लोगों को समापन अवसर पर बड़ा देव के दर्शन करने का मौका नहीं मिल पाया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Mar 05, 2025, 23:45 IST
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