China: भ्रष्टाचार पर वार की आड़ में चीन को माओ युग की ओर धकेल रहे जिनपिंग, शेंगमिन को दूसरा सबसे ताकतवर पद

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की विशिष्ट केंद्रीय समिति ने बृहस्पतिवर को एक महत्वपूर्ण बैठक में 11 सदस्यों को बदल दिया। चीनी सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने पार्टी के एक बयान के हवाले से बताया कि वरिष्ठ चीनी जनरल झांग शेंगमिन (67) को शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया है, जो चीन में दूसरा सबसे शक्तिशाली सैन्य पद है। अंतरराष्ट्रीय सामरिक विश्लेषकों का कहना है कि भ्रष्टाचार पर वार की आड़ में जिनपिंग चीन को माओ युग की ओर धकेल रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी की विशिष्ट केंद्रीय समिति के चौथे पूर्ण अधिवेशन में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच तकनीकी आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक पंचवर्षीय आर्थिक विकास योजना पर भी चर्चा हुई। वर्तमान में सीएमसी में ही कार्यरत झांग हे वेइदोंग का स्थान लेंगे, जिन्हें पिछले सप्ताह भ्रष्टाचार के आरोपों में हटा दिया गया था। कार्रवाई को भ्रष्टाचार उन्मूलन के रूप में पेश कर रहा सरकारी मीडिया सरकारी मीडिया और रक्षा मंत्रालय ने कार्रवाई को अनुशासन-सुधार और भ्रष्टाचार उन्मूलन के रूप में पेश किया। शिन्हुआ और संबंधित सरकारी ब्रीफिंग में इस बात पर जोर रहा कि कोई भी अधिकारी पद ऊंचा क्यों न हो, पार्टी अनुशासन से ऊपर नहीं होगा। इस कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर नाखुशी के संकेत मिले हैं। खासकर आर्थिक दबाव के बीच सैन्य प्रदर्शन और परेडों पर खर्च को लेकर। दूसरे सबसे ताकतवर पद पर शेंगमिन को दी तैनाती चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में सेना के नौ शीर्ष कमांडरों को पार्टी और सैन्य पदों से हटा कर देश के अंदर और बाहर एक ऐतिहासिक शक्ति-संदेश भेजा है। आधिकारिक रूप से यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और पार्टी अनुशासन उल्लंघन के आरोपों के आधार पर बताई गई है, पर अंतरराष्ट्रीय सामरिक संस्थाओं और विश्लेषकों का निष्कर्ष है कि यह कदम सत्ता की दृढ़ता और संभावित प्रतिद्वंद्वियों को बेअसर करने के उद्देश्य से उठाया गया है। वहीं, सीएमसी में वरिष्ठ पद पर अपने चहेते शेंगमिन को तैनात कर चीन को माओ युग के समान केंद्रीकरण बना रहे हैं। शेंगमिन अब दूसरे सबसे शक्तिशाली सैन्य अधकारी हैं। सत्ता-केंद्रित क्लीन-अप के रूप में देखा जा रहा है घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय सामरिक संस्थान और विश्लेषक जैसे रैंड कॉरपोरेशन, चाथम हाउस और ब्रुकिंग्स सामान्यत: इस कदम को केवल भ्रष्टाचार बचाव के रूप में नहीं देखते। वे इसे सत्ता के केंद्रीकरण, संभावित सैन्य-स्वायत्तता का दमन और उत्तराधिकार-संदेह के जवाब में उठाया गया कदम मानते हैं। माओ ने भी सत्ता को सबसे ऊपर रखा निक्केई की रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषक यह तर्क देते हैं कि शी जिनपिंग का कदम माओ त्से-तुंग के शासनकाल की उन नीति रेखाओं से मिलता-जुलता है, जहां भय-आधारित अनुशासन प्रमुख था। माओ त्से तुंग और शी जिनपिंग दोनों के शासन में एक समानता साफ दिखती है दोनों ने सत्ता की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 24, 2025, 07:19 IST
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